मंगलवार, 3 जनवरी 2012

आंदोलन की सामाजिक दिशा

निसंदेह भ्रष्टाचार एक सामाजिक व राष्ट्रीय समस्या एवं अपराध है जिसका प्रसार राष्ट्रव्यापी ही नहीं अपितु मूल से शीर्ष तक व शीर्ष से मूल तक सर्वव्यापी है , देश अगर सचमुच भ्रष्टाचार से लड़ना चाहता है और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग पर फतह पाना चाहता है तो उसे राजनीतिक दायरों और पैंतरों से बाहर निकलना होगा, यह ख्याल रखना होगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई विशुद्ध रूप से केवल भ्रष्टाचार के ही खिलाफ होना चाहिय...े, इस लड़ाई के आयाम और दिशायें पूर्ण रूप से केवल भ्रष्टाचार के ही खिलाफ होना चाहिये न कि किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ या किसी राजनीतिक दल विशेष के खिलाफ , भ्रष्टाचार वहॉं भी है जहॉं भाजपा की या अन्य गैर कांग्रेसी दलों की सरकारें हैं , लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की दिशा बदल कर जब कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई में बदल जाती है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया जाने वाला हर आंदोलन चाहे वह सामाजिक आंदोलन ही क्यों न हो दूषित होकर उसमें खोट आ जाता है और तब वह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ न होकर कांग्रेस के या सरकार के या संसद के खिलाफ आंदोलन में परिणित हो जाता है तब ऐसा आंदोलन राजनीतिक आंदोलन में स्वत: परिणित हो जाता है और खुद ब खुद ही ध्वस्त हो जाता है , रामदेव हों या अन्ना हों ... जब तक सामाजिक जमीन पर रहे .. आंदोलन की दिशा सामाजिक बनाये रखे रहे तब तक इनके आंदोलन जीवित बने रहे लेकिन जैसे ही इनके आंदोलनों में राजनीतिक मिश्रण प्रारंभ हुआ और इनकी लड़ाईयॉं भ्रष्टाचार से हट कर राजनीतिक लड़ाई में तब्दील हुयीं तैसे ही इनके आंदोलन और इन लोगों के वजूद भी ध्वस्त हो गये.... देश बनाम भ्रष्टाचार और आंदोलन बनाम कांग्रेस में बहुत फर्क है ... दूसरी बात जो भी भ्रष्टाचार की लड़ाई का फौजी खुद ही तीन पॉंच करने काले पीले नीले हरे करने के काम में लिप्त हो यह देश उसका साथ कतई नहीं देगा ...

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

शिक्षा अधिकार अधिनियम- 2009[मुख्य प्रावधान ]
अधियानियम के कुल अध्याय और ३८ खंड हैंकुछ मुख्य प्राविधान निम्न हैं:
  1. -१४ वय वर्ग के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार
  2. कोई भी बच्चा किसी भी प्रकार का शुल्क अथवा प्रभार अदा करने के लिए बाध्य नहीं होगा जो उससे प्रारम्भिक शिक्षा लेने और पूरी करने से रोक सके ।
  3. ६ वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे बच्चे जिनका किसी स्कूल में प्रवेश नहीं हो पाया हो या किसी कारण प्राम्भिक शिक्षा को पूरा नहीं कर पाए हों तो उन्हें अपनी आयु के अनुसार उपयुक्त कक्षा में प्रवेश दिया जायगा । ऐसे बच्चों को उनकी आयु के हिसाब से दुसरे बच्चों के स्तर तक लाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जयेगा
  4. स्कूल में प्रविष्ट बच्चे को न तो फेल किया जयेगा और ना ही प्राम्भिक शिक्षा पूरा करने तक निष्कासित किया जाएगा ।
  5. बच्चे को शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना से मुक्त भयमुक्त वातावरण में शिक्षा पाने का अधिकार होगा ।
  6. प्राइवेट तथा विशेष श्रेणी वाले स्कूलों को भी अपवंचित तथा कमजोर वर्ग के बच्चो हेतु पहली कक्षा की कुल सीटों के २५%सीटों की सीमा तक सीटें आरक्षित रखनी होंगी ।
  7. मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना किसी भी विद्यालय को स्थापित नहीं किया जयेगा ।
  8. विद्यालय द्वारा केपिटेशन शुल्क लिए जाने पर प्रतिबन्ध है । प्रवेश के लिए कोई भी विद्यालय अनुवीक्षण प्रणाली /स्क्रीनिंग नहीं अपना सकेगा . केपिटेशन शुल्क लिए जाने पर इस शुल्क का १० गुना तक अर्थदंड का प्राविधान है । स्क्रीनिंग प्रक्रिया अपनाने वाले को पहली बार २५००० रुपये और इसके बाद हर बार उल्लंघन पर ५०००० रुपये दंड देना होगा ।
  9. बच्चे की उम्र का निर्धारण जन्म मृत्यु एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम १९८६ के प्राविधानों के अनुसार किया जाएगा ,लेकिन प्रमाण -पत्र के आभाव में किसी भी बच्चे को प्रवेश देने से मना नहीं किया जा सकेगा ।
  10. प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने तक बच्चे की बोर्ड परीक्षा नहीं ली जा सकेगी ।
  11. बच्चे की शिक्षा के अधिकार से सम्बंधित कोई भी शिकायत लिखित रूप से स्थानीय निकाय से की जा सकती हैस्थानीय निकाय के निर्णय से क्षुब्ध व्यक्ति राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से अपील कर सकता है
  12. प्रत्येक माता -पिता एवं संरक्षक का कर्त्तव्य होगा की वे अपने आस -पास के विद्यालय में अपने पाल्य
    का अनिवार्य रूप से प्रवेश कराये ।